लक्षण (दोहा) :- अप्रत्याशित जब कहीं घटना कुछ घटि जात।
उहाँ असम्भव नाम के अलंकार बनि जात॥
उदाहरण (वीर) :- के जानल कि बी.पी. और मुलायम के बाटे अस बानि।
कि अधिकार पाइ के करिहें दुओ जने हिंदू हित हानि॥
गुप्त राज्य स्वर्णिम युग बीतल बीतल राजपूत के राज्य।
राज्य मुसलमानी भी बीतल बीतल अंग्रेजी साम्राज्य॥
बावन बरिस आपनो बीतल चलत लोकतंत्री सरकार।
कवनो युग में भइल न बाटे अइसनका अनहोनी कार॥
कवित्त :- हिन्दू तीर्थ यात्रिन के हिंदू अधिकारी हतें
घटना ना मिली कहीं एको इतिहास में।
जौना तीर्थयात्रिन का हाथे हथियार नाहीं
रहे केवल पूजाके बस्तु कुछ पास में।
आ हिंदू तीर्थयात्री पर हिंदू लगावे रोक
ईहो बात श्रोता का ना आई विसवास में।
रामजन्म भूमि में निर्माण राम मन्दिर क
सीमित हो रहि जाय सिर्फ शिलान्यास में॥
सार :- लोकतंत्र में सब विवाद मतदाने से फरियाला।
जेकरा ज्यादे वोट मिलेवा विजयी उहे कहाला॥
के जानल ई नियम अयोध्या में ना कामे आयी।
हिंसा द्वारा एक धर्म के शासन स्वयं जितायी॥
तबो धर्मनिर्पेक्ष कहावत में ना तनिक लजायी।
एगो खातिर रक्षक हो के एगो हेतु कसायी॥